भगवान भैरव भगवान शिव की शक्तिशाली आत्मा हैं। भैरव शब्द का अर्थ है “भय”। वे अपने को शत्रुओं से बहुत क्रोधित और अपने भक्तों पर दया करने वाला समझते हैं। सामान्य तौर पर उनके “भैरव” नाम के अनुसार क्रोधित आँखें, तीखे दाँत, लंबे बाल और गर्दन पर भोजन होता है जिसका अर्थ है भय और क्रोध की ध्वनि। भगवान भैरव को “कोतवाल” कहा जाता है क्योंकि वह शिव मंदिर की रखवाली करते हैं। चलिए यहां पढ़ते हैं जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा । यह भैरव जी की आरती जो कि भैरव जी की पूजा के बाद स्मरण की जाती है। आरती के Lyrics के बाद PDF और Video भी है जरूर देखे।
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Bhairav Ji Ki Aarti Lyrics
॥ श्री भैरव देव जी आरती ॥
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।
जय काली और गौर देवी कृत सेवा ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी ।
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे ॥
॥ जय भैरव देवा…॥
Bhairav Ji Ki Aarti PDF
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा । यह भैरव जी की आरती Lyrics हिंदी में PDF के लिए निचे क्लिक करे 👇👇👇
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FAQ Related Bhairav Ji
भैरव जी का मंत्र कौन सा है?
ओम कालभैरवाय नम:। ओम ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं। ओम भ्रं कालभैरवाय फट्। जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
भैरो बाबा की पूजा कैसे की जाती है?
काल भैरव की पूजा में उन्हें तिल और उड़द का भोग लगाया जाता है। बाबा भैरव की प्रिय इमरती, जलेबी, पान, नारियल, भोग परोसें। शाम के समय काल भैरव मंदिर में चौमुखा सरसों के तेल का दीपक जलाते समय ॐ कालभैरवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें।
भैरव जी का दिन कौन सा होता है?
हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन कालभैरव की पूजा के साथ भगवान शिव की पूजा भी की जाती है
काल भैरव और भैरवनाथ में क्या अंतर है?
इस दिन काल भैरवजी की पूजा करने से व्यक्ति भय से मुक्त हो जाता है। इतना ही नहीं इनकी पूजा करने से सांसारिक बाधा और शत्रु बाधा दोनों से मुक्ति मिलती है। उनकी कृपा पाने के लिए कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की प्रतिमा के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।