महावीर स्वामी की आरती | Mahaveer bhagwan ki aarti Lyrics, Image with Pdf

चलिए यहां पढ़ते हैं जय महावीर प्रभु, स्वामी जय महावीर प्रभु । यहमहावीर स्वामी की आरती जो किमहावीर स्वामी की पूजा के बाद स्मरण की जाती है। आरती के Lyrics के बाद PDF और Video भी है जरूर देखे।



Mahavir Swami Aarti 

जय महावीर प्रभु,
स्वामी जय महावीर प्रभु ।
कुण्डलपुर अवतारी,
चांदनपुर अवतारी,
त्रिशलानंद विभु ॥

सिध्धारथ घर जन्मे,
वैभव था भारी ।
बाल ब्रह्मचारी व्रत,
पाल्यो तप धारी ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

आतम ज्ञान विरागी,
सम दृष्टि धारी ।
माया मोह विनाशक,
ज्ञान ज्योति जारी ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

जग में पाठ अहिंसा,
आप ही विस्तारयो ।
हिंसा पाप मिटा कर,
सुधर्म परिचारियो ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

अमर चंद को सपना,
तुमने परभू दीना ।
मंदिर तीन शेखर का,
निर्मित है कीना ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

जयपुर नृप भी तेरे,
अतिशय के सेवी ।
एक ग्राम तिन्ह दीनो,
सेवा हित यह भी ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

shree mahaveer

जल में भिन्न कमल जो,
घर में बाल यति ।
राज पाठ सब त्यागे,
ममता मोह हती ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

भूमंडल चांदनपुर,
मंदिर मध्य लसे ।
शांत जिनिश्वर मूरत,
दर्शन पाप लसे ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

जो कोई तेरे दर पर,
इच्छा कर आवे ।
धन सुत्त सब कुछ पावे,
संकट मिट जावे ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

निशदिन प्रभु मंदिर में,
जगमग ज्योत जरे ।
हम सेवक चरणों में,
आनंद मूँद भरे ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु…॥

ॐ जय महावीर प्रभु,
स्वामी जय महावीर प्रभु ।
कुण्डलपुर अवतारी,
चांदनपुर अवतारी,
त्रिशलानंद विभु ॥

।। इति महावीर स्वामी की आरती समाप्त ।।


Mahaveer bhagwan ki aarti Pdf

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Mahavir Swami Aarti Video


Mahavir Swami Aarti Image

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mahavir swami

महावीर के मुख्य उपदेश क्या थे?

धर्म, सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह, क्षमा पर सबसे अधिक जोर दिया। त्याग और संयम, प्रेम और करुणा, शील और सदाचार ही उनके प्रवचनों का सार था।

महावीर का क्या संदेश?

आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु अपने अंदर ही रहते हैं। वे शत्रु हैं- लालच, द्वेष, क्रोध, घमंड और आसक्ति और नफरत। खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।

भगवान महावीर की शिक्षा क्या थी?

1) सत्य जानने की इच्छा रखने वाले प्रत्येक स्त्री व पुरुष को अपना घर छोड़ देना चाहिए।
2) उन्हें अहिंसा के नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिए अर्थात् किसी भी जीव को न तो कष्ट देना चाहिए और न ही उसकी हत्या करनी चाहिए।
3) सभी जीव जीना चाहते हैं

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